Saturday, April 24, 2010

सम्पूजर्ण स्वाचछता अभियान बदायू की कहानी अब्दुल अहद जांबाज की जुबानी

जब हम बदायू जनपद का नाम लेते ह तो आम तौर पर एक ऐसे पिछडे और विभिन्न समस्यों से ग्रस्त जिल की तस्वीर उभरती है जो शिक्षा स्ववच्छता और मानव विकास के तमाम सूचकांकों मे प्रदेश के सबस नीचे पाये जाने वाले तीन जनपदों मे सुमार है। वर्ष 2009 जनपद के लिये शौभाग्य का वर्ष रहा जब श्री अमित गुप्तार जनपद मे जिलाधिकारी श्री चन्द्रकान्त मुख्य विकास अधिकारी और श्री आर0एस0चौधरी जिले मे जिला पंचायत राज अधिकारी बन कर आयतीनो अधिकारी अत्यन्त‍ दूरगामी और सकारात्मक सोच के धनी है।
जनपद की मुख्य समस्या ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों मे फैल उठाउ शौचालयों की है एक अनुमान के अनुसार जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों मे लगभग 50 से 60 हजार उठाउ शौचालय है जिनमे एक हजार से सिर पर ज्यादा लोग ैला ढोने के कार्य करते हैं इनमे से अधिकांश महिलाएं हैं। आमतौर पर ऐ परिवार इस प्रथा से अपने को अलग नही करना चाहते है। जब कभी किसी गांव मे उठाउ शौचालयों को जल प्रवाहित शौचालयों मे परिवर्तित करने का कार्य प्रारम्भ किया जाता है तो इस कार्य मे लगे व्यक्ति ही इसका विरोध करते है। उनका कहना है कि यह पेशा उनकी जीविका का साधन है। इस कार्य के समाप्त हो जाने से वे वेरोजगार हो जायेगे।
श्री आर0एस0 चौधरी जनपद मे दिसम्ब‍र 2009 मे जिला पंचायत राज अधिकारी बन कर आये । जिले मे योगदान करन के बाद ही यह लगने लगा था कि जिले मे स्वाच्छता कार्यक्रम म कुछ नया होगा लेकिन इतना आमूल चूल परिवर्तन आ जायेगा इसकी किसी ने कल्पना नही की थी। श्री चौधरी ने सबसे पहल अपने कार्यालय सहायकों को कार्य के प्रति प्रोत्साहित किया। उनका कहना था कि आप अपने सहायको पर विश्वास करके तो देखो उनमे असीम क्षमता है वे आपके अपेक्षाओं पर खरे उतरेगें। और वास्तव मे ऐसा ही हुआ। श्री चौधरी ने सवसे पहले अपने सहायकों मे विश्वा‍स दिलाया कि वे उनके संरक्षक के समान है उनका उददेश्य लोगों को उनकी खोई प्रतिष्ठा दिलाना है। उन्हो ने मुख्य विकास अधिकारी और जिलाधिकारी महोदय से अनुमोदन प्राप्त कर कार्यालय मे दो कम्यूटर और विजली की समस्या से निजात दिलाने के लिये एक उच्चम क्षमता वाला इन्वर्टर स्थापित कराया। कम्यूटर और इन्वर्टर की स्थापना के बाद कार्यालय मे नयी कार्य संस्कृति विकसित हुई। जो सहायक एक पत्रावली लेकर पूरे दिन बाजार मे इस कम्यूटर केन्द्र उस कम्यूटर केन्द्र पर मारे मारे फिरते थे अब कार्यालय मे द्रुत गति से कार्यो का सम्पादन शुरू कर दिये। आम तौर पर 5 बजे बन्द हो जाने वाला कार्यालय सायं 7 और आठ बजे तक खुलने लगा। माह जनवरी और फरवरी मे गांव गांव जाकर गोष्टियों का कार्यक्रम शुरू किया गया। गांव मे अधिकारियों का जनता से दूर दूर रहना उन्हे उचित सम्मानदेना आमतौर पर अधिकारियों को जनता के साथ सम्वाद स्थापित करने मे बाधक होते है। श्री चौधरी ने इन परम्पराओं से अपने को दूर रखा। वे लोगों के बीच जाते उनके बीच जो भी बैठने की चीज मिल जाती उसी पर बैठ जाते लोगों से सामान्य गंवयी भाषा मे बात करते और लोगों को स्वाच्छता के प्रति जागरूक करते। इसका परिणाम यह हुआ कि गांव मे लोगों मे स्वच्छ शौचालयों के निर्माण के प्रति जागरूकता बढी। दो माह मे श्री चौधरी ने 20 से अधिक ग्रामों मे गोष्ठियां की। मार्च 2010 मे जब इस आशय की सूचना प्राप्ति हुई कि केवल वे ही ग्राम पंचायते निर्मल ग्राम पंचायत के लिये प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकेगी जिन्होने 31 मार्च 2010 तक सौ प्रतशित संतृप्तीकरण पूर्ण कर लिया तो दोनो जिला समन्वयक और जिला पंचायत राज अधिकारी रात दस और ग्यारह बजे तक कार्यालय मे बैठकर पंचायतों से आंकडे एकत्र कराकर आंकडो को फीड किया कभी कभी श्री चौधरी अपने व्यक्तिगत लैपटाप से अपने घर पर भी आंकडो की फीडिगं कर लेते थे। परिणाम स्वरूप जनपद के 16 ग्राम निर्मल ग्राम के प्रस्ताव प्रस्तुरत करने के लिय इलिजिबल हो गये। जिला पंचायत राज अधिकारी श्री चौधरी ने मुख्य विकास अधिकारी से हस्तांक्षरित कराकर 15 ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव शासन को भेज दिये है। यह पहला अवसर है जब जनपद मे इतनी बडी संख्या मे ग्राम पंचायतों ने निर्मल ग्राम पंचायत के लिये प्रत्यावेदन प्रस्तुत किये है। प्रदेश मे कुल 439 ग्राम पंचायतों द्वारा 100 प्रतशित आक्षादन प्राप्त किया है। प्रस्तावित ग्राम पंचायतों की संख्या के आधार पर बदायू प्रदेश मे आठवे स्थान पर है और यदि इसी प्रकार का जन सहयोग प्राप्त होता रहा तो जनपद बदायूं पुरस्कार प्राप्त करन वाले उपर के तीन जनपदों मे सामिल होगा। यहां यह भी उल्लेयखनीय है कि जिला पंचायत राज अधिकारी के इस प्रयास मे जिले के जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी महोदय का पूरा सहयोग प्राप्त हुआ है । उचित समय पर वरिष्ठ अधिकारियों का प्रोत्साहन और मार्गदर्शन इस प्रयास मे हमे सफल बनाय
आज जनपद के 6 ग्रामों गौरामई सैदपुर विलहरी बसुन्धरा रायपुर बुजुर्ग और बाकरपुर खरैर को उठाउ शौचालयों से मुक्त कर दिया गया है और इस कार्य मे लगे 11 महिलाओं को इस अमानवीय कृत्य से मुक्त कराया गया हे। समाज कल्याण विभाग द्वारा इनके पुर्नवास का प्रयास किया जा रहा है। जो लोग पेशन के योग्य है उन्हे पेशन दिलाया जा रहा है जो लोग अन्य अन्योदय कार्ड के पात्र ह उन्हे अन्योदय और वी0पी0एल0 कार्ड दिलाये जा रहे है और जो लोग किसी अन्य पेशे मे लगना चाह रहे है उन्हे अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम से धन दिलाकर रोजगार मे लगाया जा रहा है। इस कार्य मे जिला समाज कल्याण अधिकारी श्री संजीव कुमार और जिला पूर्ति अधिकारी श्री मनोज कुमार का भी सहयोग मिल रहा है। जिले मे सभी अधिकारियों के सहयोग से एक नयी कार्य संस्कृति का विकास हुआ है।

सम्पूजर्ण स्वृचछता अभियान बदायू की कहानी अब्दुल अहद जांबाज की जुबानी

जब हम बदायू जनपद का नाम लेते है तो आम तौर पर एक ऐसे पिछडे और विभिन्ने समस्यासओं से ग्रस्त जिले की तस्वीर उभरती है जो शिक्षा स्ववच्छता और मानव विकास के तमाम सूचकांकों मे प्रदेश के सबसे नीचे पाये जाने वाले तीन जनपदों मे सुमार है। वर्ष 2009 जनपद के लिये शौभाग्य का वर्ष रहा जब श्री अमित गुप्तार जनपद मे जिलाधिकारी श्री चन्द्रयकान्त मुख्य विकास अधिकारी और श्री आर0एस0चौधरी जिले मे जिला पंचायत राज अधिकारी बन कर आये । तीनो अधिकारी अत्यिन्त दूरगामी और सकारात्मक सोच धनी है।
जनपद की मुख्या समस्याम ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों मे फैले उठाउ शौचालयों की है एक अनुमान के अनुसार जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों मे लगभग 50 से 60 हजार उठाउ शौचालय है जिनमे एक हजार से ज्यादा लोग सिर पर मैला ढोने के कार्य मे करते हैं इनमे से अधिकांश महिलाएं हैं। आमतौर पर ऐ परिवार इस प्रथा से अपने को अलग नही करना चाहते है। जब कभी किसी गांव मे उठाउ शौचालयों को जल प्रवाहित शौचालयों मे परिवर्तित करने का कार्य प्रारम्भक किया जाता है तो इस कार्य मे लगे व्यरक्ति ही इसका विरोध करते है। उनका कहना है कि यह पेशा उनकी जीविका का साधन है। इस कार्य के समाप्तर हो जाने से वे वेरोजगार हो जायेगे।
श्री आर0एस0 चौधरी जनपद मे दिसम्ब‍र 2009 मे जिला पंचायत राज अधिकारी बन कर आये । जिले मे योगदान करने के बाद ही यह लगने लगा था कि जिले मे स्वाच्छजता कार्यक्रम मे कुछ नया होगा लेकिन इतना आमूल चूल परिवर्तन आ जायेगा इसकी किसी ने कल्पकना नही की थी। श्री चौधरी ने सबसे पहले अपने कार्यालय सहायकों को कार्य के प्रति प्रोत्सारहित किया। उनका कहना था कि आप अपने सहायको पर विश्वा स करके तो देखो उनमे असीम क्षमता है वे आपके अपेक्षाओं पर खरे उतरेगें। और वास्त व मे ऐसा ही हुआ। श्री चौधरी ने सवसे पहले अपने सहायकों मे विश्वा‍स दिलाया कि वे उनके संरक्षक के समान है उनका उददेश्य लोगों को उनकी खोई प्रतिष्ठाक दिलाना है। उन्हो ने मुख्यच विकास अधिकारी और जिलाधिकारी महोदय से अनुमोदन प्राप्तै कर कार्यालय मे दो कम्यूऔर जटर और विजली की समस्याा से निजात दिलाने के लिये एक उच्चम क्षमता वाला इन्वटर्टर स्थालपित कराया। कम्यूनि टर और इन्व‍र्टर की स्थामपना के बाद कार्यालय मे नयी कार्य संस्कृाति विकसित हुई। जो सहायक एक पत्रावली लेकर पूरे दिन बाजार मे इस कम्यू‍ करटर केन्द्र उस कम्यू एक टर केन्द्र पर मारे मारे फिरते थे अब कार्यालय मे द्रुत गति से कार्यो का सम्पालदन शुरू कर दिये। आम तौर पर 5 बजे बन्दत हो जाने वाला कार्यालय सायं 7 और आठ बजे तक खुलने लगा। माह जनवरी और फरवरी मे गांव गांव जाकर गोष्टियों का कार्यक्रम शुरू किया गया। गांव मे अधिकारियों का जनता से दूर दूर रहना उन्हेय उचित सम्मागन न देना आमतौर पर अधिकारियों को जनता के साथ सम्वानद स्थाचपित करने मे बाधक होते है। श्री चौधरी ने इन परम्पसराओं से अपने को दूर रखा। वे लोगों के बीच जाते उनके बीच जो भी बैठने की चीज मिल जाती उसी पर बैठ जाते लोगों से सामान्यन गंवयी भाषा मे बात करते और लोगों को स्वाच्छ ता के प्रति जागरूक करते। इसका परिणाम यह हुआ कि गांव मे लोगों मे स्ववच्छछ शौचालयों के निर्माण के प्रति जागरूकता बढी। दो माह मे श्री चौधरी ने 20 से अधिक ग्रामों मे गोष्ठियां की। मार्च 2010 मे जब इस आशय की सूचना प्राप्ति हुई कि केवल वे ही ग्राम पंचायते निर्मल ग्राम पंचायत के लिये प्रस्ताव प्रस्तुईत कर सकेगी जिन्होने 31 मार्च 2010 तक सौ प्रतशित संतृप्तीगकरण पूर्ण कर लिया है तो दोनो जिला समन्वायक और जिला पंचायत राज अधिकारी रात दस और ग्या रह बजे तक कार्यालय मे बैठकर पंचायतों से आंकडे एकत्र कराकर आंकडो को फीड किया कभी कभी श्री चौधरी अपने व्यसक्तिगत लैपटाप से अपने घर पर भी आंकडो की फीडिगं कर लेते थे। परिणाम स्वटरूप जनपद के 16 ग्राम निर्मल ग्राम के प्रस्तारव प्रस्तुरत करने के लिये इलिजिबल हो गये। जिला पंचायत राज अधिकारी श्री चौधरी ने मुख्यल विकास अधिकारी से हस्तांक्षरित कराकर 16 ग्राम पंचायतों के प्रस्तााव शासन को भेज दिये है। यह पहला अवसर है जब जनपद मे इतनी बडी संख्याो मे ग्राम पंचायतों ने निर्मल ग्राम पंचायत के लिये प्रत्या वेदन प्रस्तु त किये है। प्रदेश मे कुल ग्राम पंचायतों द्वारा 100 प्रतशित आक्षादन प्राप्त किया है। प्रस्तावित ग्राम पंचायतों की संख्यात के आधार पर बदायू प्रदेश मे आठवे स्थायन पर है और यदि इसी प्रकार का जन सहयोग प्राप्ते होता रहा तो जनपद बदायूं पुरस्काकर प्राप्तर करने वाले उपर के तीन जनपदों मे सामिल होगा। यहां यह भी उल्लेयखनीय है कि जिला पंचायत राज अधिकारी के इस प्रयास मे जिले के जिलाधिकारी और मुख्या विकास अधिकारी महोदय का पूरा सहयोग प्राप्त् हुआ है । उचित समय पर वरिष्ठव अधिकारियों का प्रोत्साजहन और मार्गदर्शन इस प्रयास मे हमे सफल बनाया।
आज जनपद के 6 ग्रामों गौरामई सैदपुर विलहरी बसुन्धनरा रायपुर बुजुर्ग और बाकरपुर खरैर को उठाउ शौचालयों से मुक्तर कर दिया गया है और इस कार्य मे लगे 11 महिलाओं को इस अमानवीय कृत्यर से मुक्त कराया गया हे। समाज कल्याबण विभाग द्वारा इनके पुर्नवास का प्रयास किया जा रहा है। जो लोग पेशन के योग्यव है उन्हेन पेशन दिलाया जा रहा है जो लोग अन्योो ल दय कार्ड के पात्र है उन्हेे अन्योा हैदय और वी0पी0एल0 कार्ड दिलाये जा रहे है और जो लोग किसी अन्यप पेशे मे लगना चाह रहे है उन्हेे अनुसूचित जाति वित्तय विकास निगम से धन दिलाकर रोजगार मे लगाया जा रहा है। इस कार्य मे जिला समाज कल्यािण अधिकारी श्री संजीव कुमार और जिला पूर्ति अधिकारी श्री मनोज कुमार का भी सहयोग मिल रहा है। जिले मे सभी अधिकारियों के सहयोग से एक नयी कार्य संस्कृाति का विकास हुआ है। badaun scavengers

Sunday, April 18, 2010

बदलते बदायू का एक गांव गौरामई

जनपद बदायू के विकास खण्‍ड म्‍याउं के दक्षिण पश्चिम मे स्थित एक ग्राम पंचायत है गौरामई। ग्राम पंचायत मे कुल एक राजस्‍व ग्राम तथा एक ही मजरा है। इस ग्राम पंचायत की अर्थव्‍यवस्‍था मूल रूप से खेती और पशुपालन पर निर्भर है। ग्राम मे शिक्षा का प्रतिशत काफी कम है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार इस ग्राम की कुल जनसंख्‍या 2249 थी जिसमे से अनुसूचित जाति की जनसंख्‍या 173 तथा पिछडो की जनसंख्‍या 659 तथा सामान्‍य आबादी 1417 थी। वर्ष 2005-2006 मे कराये गये बेस लाईन सर्वे के अनुसार गांव मे कुल परिवारों की संख्‍या 276 थी जिसमे से 75 परिवार गरीबी की रेखा के नीचे तथा 202 परिवार गरीबी की रेखा के उपर थे सर्वे के समय 2 वी0पी0एल0 परिवारों तथा 12 ए0पी0एल0 परिवारों मे स्‍वच्‍छ शौचालयों की सुविधा थी। इस प्रकार 72 वी0पी0एल परिवार तथा 190 ए0पी0एल0 परिवारों मे शौचालय की सुविधा नही थी। वर्तमान मे ग्राम की कुल परिवारों की संख्या 325 है जिसमे से gayramai budaun परिवार मुस्लिम समुदाय के 225 परिवार है। लगभग 4 माह पूर्व विकास खण्‍ड म्‍याउ मे तैनात सहायक विकास अधिकारी पंचायत नक्षत्र पाल सिंह ने गांव का दौरा किया। गांव के कुछ लोगों द्वारा शिकायत की गई कि गांव के कुछ लोगों के घरों मे कमाउ शौचालय है जिनसे निकलने वाले मल को गांव की जमादार गांव के एक स्‍थान पर एकत्र कर देती है जिससे गांव मे गंदगी फैलती है। जब सहायक विकास अधिकारी पंचायत ने गांव का वास्‍तविक सर्वे कराया तो आंकडें चौकाने वाले थे। गांव के 176 घरों मे शुष्‍क शौचायल थे। शुष्‍क शौचालयों के कारण गांव का परिवेश अत्‍यन्‍त प्रदूषित हो रहा था। सहायक विकास अधिकारी पंचायत ने उक्‍त जानकारी नवनियुक्‍त जिला पंचायत राज अधिकारी आर0एस0चौधरी को बताया। दिनांक 10 जनवरी 2010 दिन रविवार को श्री चौधरी गांव का दौरा किया। गांव के लोगों जिला पंचायत राज अधिकारी को ग्राम प्रधान श्री छेदा लाल के नेतृत्‍व मे गांव की शौचालयों की विकट समस्‍या से अवगत कराया।
जिला पंचाययत राज अधिकारी ग्राम पंचायत गौरामई मे गोष्‍ठी करते हुए। उन्होने बताया कि गांव के जिस स्‍थान पर सफाई के बाद मल डाला जा रहा था उस स्‍थान पर ग्राम पंचायत सचिवालय बनवाने का प्रस्‍ताव कर दिया गया है जिस कारण गांव के अन्‍य स्‍थान पर मल फेकने की सुविधा न होने के कारण मल का निस्‍तारण नही हो पा रहा है। गांववासियों ने जिला पंचायत राज अधिकारी से इस समस्‍या के निदान के लिये अनुरोध किया। जिला पंचायत राज अधिकारी ने तुरन्‍त ग्राम मे एक गोष्‍ठी की और लोगों को शुष्‍क शौचालयों के उपयोग की बुराईयोंगों के दौरे शुरू हो गये से अवगत कराया। गोष्‍ठी का इतना प्रभाव पडा कि गांव के आम नागरिक यह कहते पाये गये कि सरकार जो भी सुविधा दे सकती है दे शेष धनराशि वे स्‍वयं लगा कर शौचालयों का निर्माण करा लेगे और अब वे लोग कमाउ शौचालयों का प्रयोग नही करेगे। अब गांव मे जिला तथा विकास खण्‍ड स्‍तर के लो जिला स्‍वच्‍छता समन्‍वयक अब्‍दुल अहद जांबाज गांव का दौरा करते हुए
जिले पर तैनात जिला स्‍वच्‍छता समन्‍वयक अब्‍दुल अहद जांबाज रवि शंकर शर्मा सहायक विकास अधिकारी पंचायत द्वारा गांव के दौरे किये गये। गांव की आवश्‍यकतानुसार जिले स्‍तर से शौचालयों के निर्माण की धनराशि ग्राम पंचायत को उपलब्‍ध कराई गई।
गांव मे शौचालय निर्माण के लिये चेक निर्गत करते ग्राम पंचायत सचिव श्री खालिद अली
गांव मे तैनात सचिव श्री खालिद अली तथा ग्राम प्रधान श्री छेदा लाल का गांववासियों ने बढ चढ कर साथ दिया। देखने वाली बात यह रही कि ग्राम के निवासियों विशेषकर महिलाओं ने इस कार्यक्रम मे बढ चढ कर भाग लिया।
गांव के ग्राम प्रधान ने पहले लाभार्थी को चेक स्‍वयं प्रदान न कर गांव से सम्‍मानित व्‍यक्ति श्री अलाउद्यीन से दिलाया जिससे गांववासियों मे उत्‍साह का संचार हुआ। ग्राम पंचायत ने 31 मार्च 2010 तक 325 शौचालयों का निर्माण कराकर सभी घरों मे शौचालयों के निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया है और ग्राम निर्मल ग्राम पंचायत पुरस्‍कार के लिये तैयार है।
आभार-अब्‍दुल अहद जांबाज।